रतलाम(खबरबाबा.काम)। शहर के नागरिकों के लिए एक राहत भरी खबर है कि नगर में चल रहे सीवरेज सीस्टम के प्रबंधन, संधारण और संचालन के लिए फिलहाल याने वर्तमान में किसी तरह के शुल्क को बढाने का निर्णय नहीं होगा। सिवरेज सीस्टम का कार्य पूरा होने में अभी काफी समय है, इसे देखते हुए निगम परिषद ने अभी से शुल्क को लेकर किसी तरह का विचार नहीं करने करने का निर्णय लिया है। सोमवार को आयोजित निगम के साधारण सम्मेलन के एजेन्डे में शुल्क निर्धारण को लेकर शामिल प्रस्ताव पर सम्मेलन के दौरान आज किसी तरह की चर्चा नहीं की गई।
निगम का साधारण सम्मेलन सोमवार सोमवार सुबह करीब सवा ग्यारह बजे शुरु हुआ। सम्मेलन के एजेन्डे में सीवरेज और पाइप लाइन की टेस्टिंग पश्चात सुविधाओं के एवज में शुल्क का निर्धारण करने सबंधी प्रस्ताव प्रमुख रुप से शामिल था। सीवरेज शुल्क के प्रस्ताव पर पक्ष-विपक्ष दोनों के ही पार्षदों के अंसतोष को लेकर हंगामे की संभावना जताई जा रही थी, वहीं दोनों पक्षों के पार्षद यह बात कह चुके है कि जब सिवरेज सिस्टम की योजना को पुरा होने में अभी तीन से चार साल का समय है तो अभी से शुल्क वृध्दी का प्रस्ताव लाने का क्या औचित्य है। सीवरेज शुल्क को लेकर भाजपा पार्षद दल की बैठक में भी विरोध सामने आया था, जिसे देखते हुए सोमवार को हुए साधारण सम्मेलन में सर्वानुमति से ऐजेन्डे में शामिल शुल्क निर्धारण से संबधी प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं की गई।
पेंचवर्क को लेकर जताई नाराजगी
निगम के साधारण सम्मेलन में शहर की सड़कों पर हुएं पेंचवर्क को लेकर भी पक्ष-विपक्ष के पार्षदों का अंसतोष सामने आया। कांग्रेस पार्षदों ने जहां भेदभाव पूर्वक पेचंवर्क कार्य कराने का आरोप लगाया वहीं भाजपा के कुछ पार्षदों ने भी अपने यहंा पेंचवर्क कार्य नहीं होने पर विरोध के सुर अपनाएं। स्ंवय निगम अध्यक्ष अशोक पोरवाल ने भी कहा कि उनके वार्ड में भी पेंचवर्क का कार्य नहंी हुआ है, जबिक निगम के इंजिनियर ने शहर में 52 लाख का पेंचवर्क होने की बात कहते हुए जिन-जिन वार्डो में कार्य हुए है, वहां की सूची भी पढ कर सुनाई। निगम अध्यक्ष अशोक पोरवाल ने सभी वार्डो में पेचवर्क कार्य कराने की बात कही। पेचवर्क का मुद्दा प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस पार्षदों द्वारा उठाया गया था।
एमआईसी में निर्णय के बाद परिषद में प्रस्ताव लाने पर विरोध
निगम सम्मेलन के दौरान पक्ष और विपक्ष के पाषर्दो द्वारा एमआईसी में निर्णय हो चुके प्रस्तावों को परिषद में लाने पर भी आक्रोशित दिखाई दिए। लोक स्वास्थ्य यात्रिंकी विभाग द्वारा जनहित में ग्रामीण क्षैत्र के लिए गुणावद जल संयत्र के एनिकेट और भूखण्ड का उपयोग करने सबंधी मांगी गई अनुमति पर पक्ष और विपक्ष के कुछ पार्षदों ने विरोध जताया। पार्षदों का कहना था कि एमआईसी ने इस सबंध में निर्णय लिया जाकर पीएचई को एनओसी भी दे दी गई और उसके बाद अब परिषद में प्रस्ताव लाने का क्या ओचित्य है। पार्षदों का विरोध यह भी रहा कि पीएचई इसके बदले निगम को पानी नही देगा, फिर बिना किसी लाभ के निगम की सम्पति क्यो दी जाए, इस पर निगम आयुक्त एस.के.सिंह ने स्पष्ट किया कि गुणावद जल संयत्र शासन द्वारा ही निगम को वर्ष 1961-62 में दिया गया था और जब जनहित में आज शासन को इसकी जरुरत है तो उन्हे फिर से दिया जा रहा है। इसमे किसी तरह की सम्पति देने की कोई बात नहीं है और यदि भविष्य में शहर को पानी की जरुरत पड़ती है तो शुल्क देकर यहां से पानी लिया जा सकता है। फिलहाल सम्मेलन की कार्रवाई जारी है।
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