रतलाम, 28 अक्टूबर(खबरबाबा.काम)। दीक्षा दानेश्वरी, आचार्य प्रवर 1008 श्री रामलालजी म.सा.के रतलाम चातुर्मास ने तप, त्याग, दीक्षा के साथ संस्कारों के संवर्धन का इतिहास रचा। श्री साधुमार्गी जैन संघ द्वारा आयोजित मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम में सैंकड़ों बेटे-बेटियों ने एक साथ अपने परिजनों का पूजन किया। इससे पूर्व भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के साथ पर्यावरण की रक्षा करने का संकल्प भी लिया।
समता अतिथि परिसर में हुए मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम में तीन एवं इससे अधिक पीढिय़ों के बेटे-बेटियों वाले सैंकड़ों परिवार एक जाजम पर बैठे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य गुणवंत कोठारी ने पहले सभी को अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम नहीं भेजने और देश, परिवार एवं समाज के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वाह करने का संकल्प दिलाया। इसके बाद सभी बेटे-बेटियों ने अपने माता-पिता, दादा-दादी, पड़दादा-पड़दादी का पूजन कर आशीर्वाद लिया। रतलाम श्री संघ, हिन्दू आध्यात्म एवं सेवा फाउंडेशन इंदौर तथा संयम साधना महोत्सव, रतलाम चातुर्मास समिति ने सभी परिवारों का स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया।
आरंभ में समता बालिका मंडल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के श्री कोठारी ने अमेरिका में परिवार विभाजन के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस देश को दुनिया शक्तिशाली मानती है। उसकी हालत आधुनिकता के नाम पर चिंतनीय है। भारत की संस्कृति आरंभ से समृद्ध रही है। ऐसे आयोजन इसे और समद्ध बनाएंगे। श्री संघ के राष्ट्रीय महामंत्री धर्मेंद्र आंचलिया ने कार्यक्रम की सराहना की। रतलाम श्री संघ अध्यक्ष मदनलाल कटारिया ने कहा माता-पिता के उपकार को कभी भूलना नहीं चाहिए। स्वागताध्यक्ष हिम्मत कोठारी ने कहा कि मातृ-पितृ पूजन के इस कार्यक्रम को एक दिन तक सीमित नहीं रखे, इसे तो हर व्यक्ति अपनी नियमित जीवनशैली बनाए। चातुर्मास संयोजक महेंद्र गादिया ने कहा कि संस्कार रहेंगे, तो परिवार रहेंगे। इस कार्यक्रम ने परिवारों को संस्कारित माहौल में एकसाथ उपस्थित होने का अवसर दिया है। कार्यक्रम का संचालन महेश नाहटा ने किया। आभार श्री संघ के मंत्री सुशील गौरेचा ने माना।
सभ्यता, संस्कारों से परिवार में देवलोक का आनंद-आचार्यश्री
मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम से पूर्व समता कुंज में दीक्षा दानेश्वरी, आचार्य प्रवर 1008 श्री रामलालजी म.सा.ने माता-पिता एवं गुरूजनों के सम्मान की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि माता-पिता का बच्चों से जो संबंध है, वह केवल जन्म देने का नहीं है। इसके साथ सभ्यता और संस्कारों का भी बड़ा संबंध जुड़ा है। अमेरिका में आज परिवार एक नहीं है, तो वहां ऐसी स्थिति नहीं बनती, लेकिन हमे सभ्य और सुंदर संस्कृति मिली है। परिवार में सभ्यता एवं संस्कार बने रहे, तो देवलोक का आनंद महसूस कर सकते है। यह आनंद कहीं मिलता नहीं, अपितु भावों से बनता है। बड़ों का आशीर्वाद हमेशा काम आता है।
आचार्यश्री ने कहा कि भगवान महावीर,श्री कृष्ण वासुदेव सभी ने माता-पिता एवं गुरूजनों का सम्मान किया। माता-पिता को वंदन करने से हमे जो उर्जा मिलती है, वह ताकतवर बनाती है। उन्होंने वंदन के प्रकार बताते हुए कहा कि मस्तक में आज्ञाचक्र होता है, उसे यदि माता-पिता व गुरूजनों को वंदन करते हुए दाहिने पैर के अंगूठे पर लगाया जाए, तो वह जागृत होकर बहुत लाभकारी होता है। बड़ों का आशीर्वाद बहुत भी चमत्कारी एवं ताकतवर होता है। इससे हमारी कई विपत्तियां टल जाती है।
श्री आदित्य मुनिजी म.सा.ने सिस्टम से चलने की आवश्यकता बताते हुए कहा दिक्कतें वहीं होती है, जहां सिस्टम नहीं होता। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के गुणवंत कोठारी ने कहा कि भारत जगतगुरू कहलाता था, लेकिन आज वातावरण बदल रहा है। मूल्यों का क्षरण होने से कई विसंगतियां जन्म ले रही है। इनसे बचने और जीवन मूल्यों के संरक्षण के लिए संस्कारों का होना जरूरी है। मातृ-पितृ वंदन का आयोजन इसी दिशा में एक प्रयास है। इस मौके पर बाबुलाल-सुशीलाबाई धींग ने आजीवन शीलव्रत का प्रत्याख्यान लिया। कई लोगों ने तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। संचालन सुशील गौरेचा एवं महेश नाहटा ने किया।
कल सुबह होगी बड़ी दीक्षा
समता कुंज में 30 अक्टूबर को बड़ी दीक्षा का आयोजन होगा। इसमें नवदीक्षित महासती श्री निर्मलयशाश्री जी म.सा.एवं श्री रूपयशाश्री जी म.सा.को आचार्यश्री बड़ी दीक्षा प्रदान करेंगे। यह कार्यक्रम सुबह 7 बजे होगा। श्री साधुमार्गी जैन संघ ने समाजजनों से उपस्थित रहने का आव्हान किया है।