रतलाम,5जनवरी(खबरबाबा.काम)। मालवा की भूमि में सबसे पहले काल गणना हुई और आज भी रतलाम ही पूरे देश के पंचागों को एक जाजम पर बैठाकर विषमताओं को दूर करने का प्रयास कर रहा है। यह प्रयास सिर्फ रतलाम से ही हो सकता है क्योंकि यहीं के ज्योतिषविदों ने यह मुश्किल काम करने की कोशिश शुरु की है। रतलाम में दो दिनों तक होने वाले सम्मेलन में जो निष्कर्ष निकलेगा उससे हम कोशिश करेंगे कि समिति पूरे भारत में चार विभागों में बंटेगी। समिति देश भर के अलग-अलग पंचागों में तिथियों को लेकर होने वाले भ्रम को दूर करने के लिए एकरूपता लाएगी ताकि आम जन में पंचाग और तिथियों को लेकर उत्पन्न होने वाला विरोधाभास समाप्त हो सके।ज्योतिष गणना के अनुसार भविष्य में रतलाम औद्योगिक नगर के रूप में तेजी से विकसित होगा ।
यह बात उत्तराखंड के पूर्व वनमंत्री एवं उत्तराखंड संस्कृति एकेडमी के पूर्व उपचेयरमेन एवं ज्योतिषी डॉ. नंदकिशोर पुरोहित ने कही। रतलाम में शनिश्चरी अमावस्या से दो दिवसीय ज्योतिष महासम्मेलन आयोजित किया गया है जिसका शुभारंभ शनिवार को नारायणी पैलेस होटल में हुआ। शुभारंभ के पूर्व विशिष्ट अतिथियों ने मीडिया से चर्चा कर बताया कि पंचागों में तिथियों के आगे-पीछे होने का कारण मूल रूप से अलग-अलग वैदिक विधियां जो अलग-अलग स्थानों पर कुछ भिन्न है। सम्मेलन का मुख्य मकसद पंचागों में एकरूपता लाने की कोशिश करना है ताकि जन्माष्टमी, राम नवमी, दीपावली आदि पर्वो को मनाने की तिथि में आम जन को कोई संशय न रहे।
लोकाचार बहुत महत्वपूर्ण………
डॉ. पुरोहित ने चर्चा में कहा कि पंचाग गणना में तिथियों की गणना हजारों साल पूर्व ही ठोस खगोलीय और गणितकीय विज्ञान पर की गई है। सूर्य और ब्रह्म दो प्रकार के पंचाग होते हैं जिनकी गणना में थोड़ा बहुत अंतर आने से कभी तिथि आगे-पीछे हो सकती है। उन्होंने बताया कि वाराणसी, जबलपुर, उज्जैन, दक्षिण भारत में रेखाशं-अक्षांश अलग होते हैं, ऐसे में कोशिश की जाएगी कि पंचाग निर्माता आगे से पंचाग में स्पष्ट लिखें कि कौन सा समय कौन से स्थान पर लागू होगा। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में विधि के साथ लोकाचार को बहुत महत्व दिया गया है और समय के साथ आधुनिकता को शामिल करना भी बहुत जरूरी है। इस विषय पर भी मंथन होगा।
विक्रम संवत लागू करें सरकार……
सरकार अभी तक सक संवत के अनुसार तिथियों पर आने वाले पर्व की छुट्टी घोषित करती है, जबकि आम जीवन में विक्रम संवत को मानते हैं। ऐसे में तिथियों में होने वाले विरोधाभास को दूर करने के लिए हम सरकार से विक्रम संवत को शासकीय अवकाश के निर्धारण में अपनाने का अनुरोध सभी राज्य व केंद्र सरकार से करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आने वाले समय की गणना पूर्ण एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोलॉजी की विधियों द्वारा की जाए तो भविष्य की घटनाओं को स्पष्ट तिथि और समय के साथ बताया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कर्म करना तो निश्चित है लेकिन उसे कैसे किया जाए यह बदलकर फल बदला जा सकता है।
रतलाम में जल्द बढेंगे उद्योग…
डॉ. पुरोहित ने दावा किया कि ज्योतिष गणना अनुसार रतलाम में आने वाले बहुत निकट भविष्य में ओद्योगिक विकास तेजी से होगा। उन्होंने कहा कि रतलाम में खासतौर पर लोहे से संबंधित उद्योग विकसित होंगे और रोजगार के अवसर बढेंगे। उन्होंने कहा कि यहां जल आपूर्ति के लिए संसाधन बढेंगे। इस दौरान मुख्य रूप से उज्जैन से आए महामंडलेश्वर भागीरथ जोशी, बिलपांक संस्था संस्थापक बजरंगगिरीजी, दिल्ली से ललित पंथ, अशोक नगर से अशोक शर्मा, राजोत के सुरेश गौढ, रमेश पंड्या, भोपाल के राजेंद्र उपाध्याय, पुणे के प्रसाद जोशी आदि मौजूद थे। आयोजन समिति के पं संजय दवे ने बताया कि दो दिवसीय आयोजन में देशभर के करीब 200 से अधिक ज्योतिष एवं पंचाग निर्माता शामिल हुए जिनमें करीब एक दर्जन महिला ज्योतिष भी हैं। शनिवार को मंथन के बाद रविवार को विद्वानों द्वारा शंका समाधान किया जाएगा।
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