नई दिल्ली, 23अप्रैल2020/लॉकडाउन के दौरान IPS अफसर सिमाला प्रसाद की कविता मैं खाकी हूं… खूब पसंद की जा रही है. सिमाला प्रसाद, इंडियन पुलिस सर्विस (आईपीएस) में हैं और एक दबंग अफसर के तौर पर पहचान रखती हैं. वर्तमान में वो आईपीएस एसोसिएशन की सचिव हैं. वो Bollywood फिल्म में भी काम कर चुकी हैं. इसके अलावा IPS सिमाला प्रसाद डिंडौरी जिले में एसपी रह चुकी हैं. आइए जानें- सिमाला के बारे में कैसे उन्हें मिली फिल्म और कैसे आईपीएस से बॉलीवुड में बनाई पहचान.
बता दें कि सिमाला 2010 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. खाकी वर्दी पहनने के बाद सिमाला के नाम से अपराधी खौफ खाते हैं. उन्होंने मध्यप्रदेश के डिंडौरी में एक एसपी के तौर पर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अपनी धमक बना दी थी.
उनके पिता डॉ भागीरथ प्रसाद पूर्व आईपीएस और सांसद रहे हैं. वहीं उनकी मां मेहरुन्निसा परवेज जानी मानी साहित्यकार हैं. मेहरुन्निसा को उनके उल्लेखनीय काम के लिए पद्मश्री से नवाजा जा चुका है.
बचपन में स्कूल में डांस और एक्टिंग में हमेशा आगे रहने वाली सिमाला ने सोचा नहीं था कि वो सिविल सर्विस में जाएंगी. सिमाला ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि घर के माहौल ने मेरे भीतर आईपीएस बनने की चाहत जगाई, मुझे लगता था कि देश की सेवा के लिए इससे अच्छा प्लेटफार्म नहीं हो सकता.
सिमाला ने आईपीएस बनने के लिए किसी भी कोचिंग संस्थान का सहारा नहीं लिया, बल्कि सेल्फ स्टडी के जरिये ये मुकाम हासिल किया. उन्होंने भोपाल के बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी में पीजी के दौरान गोल्ड मेडल भी हासिल किया. Bollywood फिल्म में काम कर चुकी हैं IPS सिमाला, सिमाला की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जोसफ कोएड स्कूल ईदगाह हिल्स में हुई उसके बाद स्टूडेंट फॉर एक्सीलेंस से बीकॉम और बीयू से पीजी करके पीएससी परीक्षा पास की. पहली पोस्टिंग डीएसपी के तौर पर हुई. इसी नौकरी के दौरान उन्होंने आईपीएस की तैयारी करके उसमें सफलता पाई.
सिमाला ने बॉलीवुड में फिल्म अलिफ में काम किया है. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि दिल्ली में फिल्म निदेशक जैगाम से उनकी मुलाकात हुई थी. वो अपनी फिल्म अलिफ के लिए किरदार तलाश रहे थे. जिसमें उन्होंने मुझे चांस दिया. ये फिल्म समाज को एक अच्छा संदेश देती है, यही सोचकर मैंने फिल्म ज्वाइन कर ली.
पढ़ें सिमाला की कविता, मैं खाकी..
मैं खाकी…
सदा चुपचाप चली इस कर्म पथ पर
कभी किसी को जताया नहीं
कभी किसी को कहा नहीं
आज अनायास ही लगा कुछ कहूं आपसे
आज एक साथी को खो दिया मैंने
दु:ख है, नहीं रोक पाए उसको
आपको रोकने में जो लगा था वो
सिमटी बैठी है साड़ी में
वो आज अपना सब हार
फिर खड़ी होगी कल
खाकी ने थामा है उसका हाथ
फिर लौटेंगी यह नम आंखें
इस बलिदान की चमक के साथ
मन विचलित है पर हौंसला अड़िग है
फिर कस लिया है बेल्ट अपना
फिर जमा ली है सर पर टोपी अपनी
आंख मिला रखी है इस चुनौती से मैंने अपनी
लोग कहते हैं, ना दवा है ना दुआ है
यह शत्रु कुछ अजब है लेकिन मेरे पास
इससे लड़ने का हथियार भी गजब है
जीतना है, जिताना है, समझाना है, बताना है
जब मैं हूं बाहर सारे खतरे उठाए
तो आपको बाहर क्यों जाना है
इतना तो तय है, छुपना नहीं, छुपाना नहीं
जीतने के लिए हमें बस सच बताना है
थक गए होंगे सब इस रोक-टोक से
इस शत्रु से लड़ने के मेरे तौर-तरीकों से
खड़ी हूं इस तपती धूप में इन वीरान सड़कों पर
भरोसा है जल्द लौटेगी इन सड़कों की चहल-पहल
वो शोरगुल, वो लाल, पीली, हरी बत्ती का खेल
वो सिटी बसों में भागना शहर
वो मोटरसाइकिल पर रेस लगाता शहर
वो खाकी को अपना समझता शहर
एक अच्छी खबर सुनानी थी मुझे
जल्द हारेगा वो यह बताना था मुझे
जल्द खुलेंगे सभी बंद ताले
चाबियां ढूंढ़ने की जिम्मेदारी जो मैंने ले रखी है
है अंधेरा ज्यादा तो क्या, मशाल तो मैंने जला रखी है
मुस्कुराहटें अब ना रुकेंगी, हर आंसू पोंछने की
जिम्मेदारी जो मैंने ले रखी है
कभी-कभी सूखे पत्तों के पंख लगाए
मेरा मन भी उड़ जाता है घर पर
मन करता है घर में कुछ समय बिताऊं
अपनों की कुछ सुनूं , कुछ अपनी सुनाऊं
अपनों के साथ फुरसत के कुछ पल बिताऊं
लेकिन नहीं, मैं खाकी, घर पर नहीं रह सकती हूं
शपथ जो ली है, वह नहीं तोड़ सकती हूं
जानती हूं मेरी चिंता में मां ने दवाई न ली होगी
घर के ठहाकों ने मेरी कमी महसूस की होगी
रसोई नित नए प्रयोगों से सज रही होगी
घर में खेले जा रहे खेलों में
एक खिलाड़ी की कमी होगी
लेकिन खुश हूं यह सोचकर इस कैद में
आजाद हैं सब इस विपदा की बेड़ियों से अब
कहते हैं सच्चा दोस्त वही
जो हर मुश्किल में साथ दे
तलवार की मार हो या पत्थरों की बौंछार हो
हर इम्तिहान तो खामोशी से देती आई हूं
फिर कैसी शंका, क्यों आशंका
पता नहीं कितना कह पायी हूं
कितना एहसास करा पायी हूं
मैं खाकी, सदा आपका साथ देती आई हूं
बता दें कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. इस दौरान उन्होंने ये कविता लिखकर पुलिस अफसर के तौर पर अपने जज्बात जाहिर किए हैं. सोशल मीडिया में भी उनकी ये कविता खूब पसंद की जा रही है.
(साभार-आज तक)
रतलाम से भी रहा है नाता
आईपीएस सिमाला प्रसाद का रतलाम से भी नाता रहा है. आईपीएस के पहले उनका चयन पीएससी से डीएसपी के रुप में हुआ था, तब वे रतलाम में प्रशिक्षु डीएसपी के रूप में पदस्थ रहे चुकी है .वही उनके पिता भागीरथ प्रसाद रतलाम कलेक्टर रह चुके हैं.
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