रतलाम,14 मई(खबरबाबा.काम)। बाजना बस स्टैण्ड क्षैत्र में बने रहे फोरलेन के लिए पेड़ों को शिफ्टींग करने की योजना को अमल में लाने का कार्य सोमवार से शुरु हो गया है। यहां लगे दशकों पुराना विशालकाय पीपल, नीम, बरगद के पेड़ जड़ सहित बाहर आकर किसी दूसरे स्थान पर फिर से लहलहाएंगे। इतिहास में पहली बार सोमवार को शहर के बाजना बस स्टैंड इलाके में पेड़ो की शिफ्टिंग का काम प्रारंभ हुआ। शिफ्टिंग की प्रक्रिया के पहले सन 1979 में पीपल के पौधे को रोपने वाले दंपत्ति के साथ टीम ने विधिवत पेडों, धरती माता और मां प्रकृति का पूजन किया। खास बात यह है कि पेड़ों को कटने से बचाने के लिए शहर के आम लोग आगे आ रहे हंै। अभी तक करीब 25 लोग पेड़ों को बचाने के लिए इन्हें गोद लेकर शिफ्टिंग करवा रहे हैं।
बाजना बस स्टैंड से सागोद रोड स्थित जयंतसेन धाम तक फोरलेन निर्माण के लिए करीब 385 बड़े पेड़ों को काटने के लिए चुना गया था। शहर की हरीतिमा की उजडऩे से बचने के लिए एडीएम डा. कैलाश बुंदैला और शहर के युवा पर्यावरणप्रेमियों ने इंदौर के पर्यावरणविद् डॉ. ओपी जोशी की टीम से संपर्क किया जिन्होंने पेड़ों की जिंदगी बचाने के लिए इन्हें शिफ्ट करने का काम हाथों में लिया है। इसके तहत सोमवार को टीम बाजना बस स्टैंड इलाके में पंहुची। यहां सन 1979 में पीपल के पौधो रोपने वाले वहीं के निवासी कैलाश शर्मा और पत्नी राजू शर्मा ने डॉ. जोशी, एडीएम डॉ. कैलाश बुंदेला, अशोक पाटीदार आदि के साथ पेड़ों का पूजन किया।
5 पेड़, 8 दिनों में बदलेंगे घर
इसके बाद पेड़ों के समीप से बह रहे ड्रेनेज के पानी को रोकने के लिए नाली बनाने का काम शुरु किया गया। कार्य में सहयोग कर रहे अशोक पाटीदार ने बताया कि एक साथ 4 पीपल और 1 बड़े नीम की शिफ्टिंग की जाएगी। पूरी प्रक्रिया में करीब 7-8 दिन का समय लगेगा। पांचो पेड़ों को यहां से निकालकर अमृतसागर तालाब बगीचे में लगाया जाएगा। पर्यावरणवीद डॉ. जोशी के अनुसार इस बात की पूरी कोशिश की जा रही है कि पेड़ की अपने घर और माटी की याद न आए। इसके लिए नए स्थान पर पेड़ के पहले यहां की मिट्टी ले जाई जाएगी।
अपने दोस्तों के लिए लोगों से मांगी मदद
पूजन के दौरान शर्मा दंपत्ति ने बताया कि इतने सालों तक ये पेड़ उनके और यहां रहने वाले अधिकांश लोगों के परिवार का हिस्सा बन गए हैं। सुबह इनके किनारे सैर करके और रात भी इनके किनारे हवा में घूम कर ही होती है। इन्हें कटने से बचाने के लिए यहां के सभी लोग पूरे शहर और जिले के लोगों से अपील कर रहे हैं कि पेड़ों को बचाने के लिए आगे आएँ और थोड़ी सी राशि देकर पेड़ों को जिंदगी दें। उल्लेखनीय है कि अब तक हरियाली की चादर को बचाने के लिए शहरवासियों ने भी जज्बा दिखाया है। करीब 21 लोग पेड़ों की शिफ्टिंग के लिए राशि जिला प्रशासन को देने के लिए संपर्क कर चुके हैं। अभी भी यहां करीब 200 ऐसे पेड़ हैं जिन्हें आर्थिक सहायता मिलने पर शि ट किया जा सकता है।
प्रयोग सफल हुआ तो और स्थानों पर भी होगा प्रयोग
चर्चा के दौरान एडीएम डॉ. कैलाश बुंदेला ने बताया कि जिला प्रशासन की कोशिश है कि अधिकांश पेड़ों को शिफ्ट करवाया जाए, ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहे। अगर इस प्रयोग में पेड़ शिफ्ट होते हैं, उनके जीने का प्रतिशत अच्छा निकलता है तो संभव है जिले और आसपास में अन्य विकास कार्यो के लिए काटने के लिए चिन्हित होने वाले पेड़ों को भी इसी तर्ज पर बचाया जा सकेगा।
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