रतलाम 04 मार्च (खबरबाबा.काम)। जो व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में समर्पण, ईमानदारी एवं पूर्ण क्षमता के साथ कार्य करता है, वह सदैव शिखर पर पहुंचता है। विधि के विद्यार्थी सदैव रीडिंग, राइटिंग, डिस्कर्शन तथा थिंकिंग पर फोकस करे तो जीवन में अग्रणी रहेंगे।
यह उद्गार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री जे.के. माहेश्वरी ने शनिवार को रतलाम विधि महाविद्यालय के नवीन भवन का लोकार्पण करते हुए मुख्य अतिथि के रुप में व्यक्त किए। इस अवसर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव, शहर विधायक चेतन्य काश्यप, बार कौंसिल आफ इंडिया के को-चेयरमेन प्रताप मेहता, उमेश झालानी, सुभाष जैन, डा. संजय वाते, निर्मल कटारिया, केदार अग्रवाल, कैलाश व्यास, बार एसोसिएशन अध्यक्ष अभय शर्मा, कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी, पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी, महाविद्यालय प्राचार्य डा. अनुराधा तिवारी, निर्मल लूनिया, न्यायाधीशगण, अभिभाषकगण, विधि विद्यार्थी आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी ने कहा कि विधि अध्ययनकर्ता की विश्लेषणात्मक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। एक अभिभाषक का विश्लेषणात्मक आधार मजबूत रहता है। समर्पण एवं क्षमता के साथ कार्य करने से व्यक्ति सदैव तरक्की करता है। न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी ने कहा कि अपने वर्तमान में यदि हम अच्छा करते हैं तो भविष्य अपने आप ही संवर जाता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि रतलाम के विधि महाविद्यालय का अपने आप में महत्वपूर्ण स्थान है। यह महाविद्यालय सम्राट विक्रमादित्य एवं ईश्वरीय प्रेरणा से स्थापित हुआ है। उन्होंने अपने उद्बोधन में अपने नैतिक मूल्यों तथा जीवन मूल्यों को बचाकर रखने पर जोर दिया।
इस अवसर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि हम अपनी स्वभाषा तथा जडों से जुडे रहें, शासन ने नई शिक्षा नीति में भी इस बात पर जोर दिया है। हम अध्ययन को सदैव प्राथमिकता देवें। उन्होंने कहा कि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का जीवन न्याय के क्षेत्र में सदैव प्रेरणा देता है। डा. यादव ने अपने उद्बोधन में सम्राट विक्रमादित्य के जीवन से जुडे एक उल्लेखनीय वृतांत को भी प्रस्तुत किया।
विधायक एवं रतलाम एज्युकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष चेतन्य काश्यप ने अपने उद्बोधन में कहा कि रतलाम का विधि महाविद्यालय अपने आप में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। एक सकारात्मक दृष्टिकोण लेकर महाविद्यालय का प्रारम्भ नगर में किया गया था जो अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। महाविद्यालय एक माडल संस्थान है। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा के उच्चतम स्तर को जमीनी स्तर तक ले जाना है तभी युवाओं का भविष्य सुरक्षित रहेगा।
बार कौंसिल इंडिया के को-चेयरमेन प्रताप मेहता ने अपने उद्बोधन में कहा कि रतलाम विधि महाविद्यालय का महत्वपूर्ण स्थान है। वे इस महाविद्यालय से काफी पूर्व से जुडे हुए हैं। यह महाविद्यालय निश्चित रुप से भविष्य में भी विधि के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट योगदान देगा। श्री मेहता ने अपने उद्बोधन में विधायक श्री काश्यप द्वारा विधि महावियालय के विकास में उत्कृष्ट योगदान का भी जिक्र किया। प्रारम्भ में डा. संजय वाते ने विधि महाविद्यालय का परिचय दिया। कार्यक्रम में अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट किए गए। संचालन डा. मुरलीधर चांदनीवाला ने किया। आभार श्री निर्मल कटारिया ने माना।