रतलाम,9जुलाई(खबरबाबा.काम)। यूं तो राजनीति को जनता की सेवा का माध्यम बताकर कई उद्योगपति, अमिर और प्रभावशाली लोग राजनीति में आए, लेकिन कोई भी देश की राजनीति में रतलाम विधायक चेतन्य काश्यप जैसा उदाहरण प्रस्तुत नहीं कर सका। श्री काश्यप एकमात्र ऐसे विधायक है जो सरकारी खजाने से ना कोई वेतन लेते हैं ना किसी भी तरह का कोई भत्ता।
बात समाजसेवा की हो या राजनीति की, विधायक चेतन्य काश्यप ने हर जगह अपने कार्यों से पूरे समाज को प्रेरित किया है। विधायक बनने के बाद वेतन और भत्ते ना लेने का निर्णय कर राजनीति में भी उन्होंने अन्य लोगों के लिए मापदंड स्थापित कर दिया है।श्री काश्यप मध्यप्रदेश के इकलौते ऐसे विधायक हैं जो सरकार से न तो वेतन लेते हैं और न ही किसी अन्य प्रकार का भत्ता। उनका मानना है कि वेतन और भत्ते से बची राशि का उपयोग जनहित के कार्य में हो सकता है।
उद्योगपति और समाजसेवी चेतन्य काश्यप साढ़े नौ साल पहले जब भाजपा के टिकट पर रतलाम शहर से विधायक निर्वाचित हुए थे तब शपथ होते ही उन्होंने विधानसभा सचिवालय को एक पत्र सौंपा था। यह पत्र विधायकों शासन से मिलन वाले वेतन और भत्ते नहीं लेने की घोषणा का था। 230 विधायकों वाले राज्य मध्यप्रदेश में सिर्फ काश्यप ही ऐसे विधायक हैं जिन्होंने ऐसा संकल्प लिया और उस पर अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम दौर में भी कायम हैं।
उन्होंने वेतन और भत्ते ना लेने की घोषणा करते हुए इसका उद्देश्य भी स्पष्ट किया था। उन्होंने कहा था कि वे चाहते हैं कि उनके हिस्से के वेतन और भत्ते की बची राशि का उपयोग सरकार जनहित से जुड़े कार्यों में करे। उनके इस निर्णय की तब भी काफी सराहना हुई थी और उनके इस कार्य को आदर्श के रूप में प्रदर्शित किया गया था।
अब तक करीब ढाई करोड़ रुपए का वेतन और भत्ता छोड़ा
विधानसभा सचिवालय के अनुसार मध्यप्रदेश में एक विधायक को तकरीबन 1 लाख 10 हजार रुपए मासिक वेतन प्राप्त होता है। जितनी भी बैठकें होती हैं, इनका प्रति बैठक 2000 रुपए के हिसाब से भत्ता भी मिलता है। इसके अलावा यातायात भत्ता विधायकों को दिया जाता है। इस तरह तकरीबन 2 लाख रुपए एक विधायक को प्रतिमाह वेतन और भत्ता मिलता है। इस तरह विधायक काश्यप द्वारा अपने दोनों कार्यकाल में करीब 2 करोड़ 40 लाख रुपए वेतन-भत्तों का त्याग किया है।
सरकारी वेतन-भत्ते नहीं लेने वाले विधायक काश्यप दान और सद्कार्य के मामले में भी हरदम आगे रहते हैं। इसकी बानगी उनके द्वारा शुरू किए गए और संचालित प्रकल्प हैं। अहिंसा ग्राम जैसा महत्वपूर्ण प्रकल्प पूर्ण रूप से उनके द्वारा ही वित्तपोषित है।
लोगों को आवास मिल सके, इसलिए खुद आगे आकर किया यह काम
गरीबों को भी आशियाना मिल सके इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना अस्तित्व में आई। तब कई हितग्राहियों के सामने आर्थिक संकट था खासकर उन लोगों के जिन्होंने किसी न किसी प्रकार का लोन ले रखा था। तब चेतन्य काश्यप फाउंडेशन और काश्यप परिवार द्वारा ऐसे लोगों की ऋण अदायगी में आर्थिक मदद की गई जिससे कई लोगों को उनके सपनों का घर मिल सका। मेडिकल कॉलेज को लेकर भी जब कानूनी दांव-पेंच आड़े आए तो काश्यप ने अपने खर्च पर ही वकील नियुक्त कर सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने की तैयारी की गई। खेल चेतना मेला सहित अन्य खेल गतिविधियां, धार्मिक अनुष्ठान और अन्य सामाजिक कार्यों में विधायक काश्यप के कार्य एक उदाहरण है।