रतलाम,27मई(खबरबाबा.काम)। माहेश्वरी समाज द्वारा महेश नवमी के अवसर पर विभिन्न आयोजन किए जा रहे हैं।
समाज अध्यक्ष शैलेंद्र डागा व नरेंद्र बाहेती ने बताया कि कसारा बाजार स्थित माहेश्वरी भवन पर शुक्रवार को माहेश्वरी उत्पत्ति रहस्य कथा का संगीतमय मंचन परम पूज्य गुरु भागवत आचार्य पंडित माधव रामानुज शास्त्री पिपलिया धाम वाले द्वारा किया गया। प्रारंभ में समाज अध्यक्ष शैलेंद्र डागा तथा समाज जनों ने भगवान महेश के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन किया।गुरु जी का स्वागत समाज अध्यक्ष डागा तथा समाज जनों ने किया।
इस अवसर पर गुरुजी ने माहेश्वरी उत्पत्ति कथा का वाचन करते हुए कहा कि खंडल सेन नामक एक राजा था जिसको पुत्र नहीं होने से उन्होंने भगवान शिव की पूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ पूजा की। भगवान शिव ने उसे सुजान सेन नामक बेटा होने का आशीर्वाद दिया।बाद में वह राज्य का राजा बन गया। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश थे ।एक दिन जब इनके वंशज शिकार पर गए तो इनकी कार्यविधि से ऋषियो के यज्ञ में विघ्न उत्पन्न हो गया ऋषियो ने इन सभी को शाप दे दिया कि तुम्हारी वंश का पतन हो जाएगा। माहेश्वरी समाज इसी श्राप के कारण ग्रसित हो गया था। किंतु जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष नवमी के दिन भगवान शिव जी की कृपा से उन्हें श्राप से मुक्ति मिल गई तथा भगवान शिव ने इस समाज को अपना नाम दिया। इस दिन से यह समाज माहेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
भगवान शिव की आज्ञा अनुसार माहेश्वरी समाज ने क्षत्रिय कर्म को छोड़कर वैश्य कर्म को अपना लिया।अतः आज भी माहेश्वरी समाज वैश्य समाज के रूप में जाना जाता है। उन्होंने सुजान कुंवर का जन्मोत्सव, राजकुमार उमराव सहित शस्त्र भृमन करना , ऋषियो द्वारा तप एवं यज्ञ करना, राजकुमार एवं उमराव द्वारा यज्ञ भंग करना, रानी एवं उमराव पत्नीयों का बिरह, ऋषियों से क्षमा याचिका मांगना, रानी एवं उमराव पत्नियों द्वारा गुफा में जाकर भगवान महेश व माता पार्वती की आराधना करना ,सूर्य कुंड में सभी शास्त्रों का गल जाना, उमराव को भूख लगने पर सत्तू परोसने की योजना बनाना, माता पार्वती( माहेश्वरी) द्वारा उमराव पत्नियों को चुनरी पहनाकर माहेश्वरी होने का वरदान देना आदि आयोजन का मंचन किया गया ।
इस दौरान भजन संध्या भी हुई इससे पूर्व गुरुवार रात्रि को माहेश्वरी भवन पर सुंदरकांड का आयोजन किया गया। माहेश्वरी सेवा संगठन परिवार अध्यक्ष भूपेंद्र सुनीता चिचानी संगठन सचिव लक्ष्मीनारायण तनुजा धूत कार्यक्रम संयोजक द्वारकाधीश मधु धुत , डॉ लक्ष्मण विमला परवाल संरक्षक माधव काकानी उपाध्यक्ष डॉ बीएल तापड़िया सहित अनेको समाजजन मौजूद थेl