रतलाम(खबरबाबा.काम)। धर्मावलंबियों के लिए सोमवार का दिन खास होने वाला है। पौष माह की अमावस्या को पुण्यार्जन के लिए खास माना जाता है, उस पर इस साल सोमवार का दिन होने से सोमवती अमावस्या भी पड़ रही है। 12 साल बाद संयोग बन रहा है जिसमें सोमवार को पौष अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। पंडितों के अनुसार कुंडली में पितृ, काल, विष योग के निवारण और परिवार की सुख, शांति प्राप्त करने के लिए यह बहुत उत्तम योग है।
पंडित संजय शिवशंकर दवे के अनुसार पौष माह में सूर्य धनु राशि में होते हैं जिसके कारण यह महीना पुण्यार्जन के लिए अधिक शुभ माना जाता है। पौष अमावस्या के दिन स्नान और दान आदि करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस बार 18 दिसंबर सोमवार को सोमवती अमावस्या 12 साल बाद इस योग में आ रही है। इससे पहले 2005 में 10 जनवरी को सोमवार के दिन पौष मास में सोमवती अमावस्या थी। 2017 में पौष सोमवती अमावस्या का संयोग बहुत ही शुभ फलदायी है। पौष माह के आने वाली सोमवती अमावस्या को इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। माना जा रहा है इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके पूजा पाठ करने से विशेष पुण्य मिलता है। नदी में स्नान न कर पाने की दशा में व्यक्ति सूर्योदय के साथ घर में ही नदी से प्राप्त जल मिलाकर या अन्य स्त्रोत के जल से ही स्नान कर सकता है। स्नान के बाद सूर्य को अघ्र्य अवश्य देना चाहिए। इसके बाद सोमवती अमावस्या पर भगवान महादेव, पार्वती, गणेश और पूरे शिव परिवार के पूजन का महत्व बताया गया है। इसके अलावा महिलाएं विशेष रूप से पीपल के पेड़ का भी सुबह के समय पूजन करती हैं। महिलाएं पीपल के पेड़ पर जल, दूध, पंचामृत, नैवैद्य, फल, मिष्ठान आदि का भोग लगाकर, कच्चे सूत के धागे से 7 बार परीक्रमा करती हैं। यह परिक्रमा प्रकृति के साथ मनुष्य के अटूट बंधन और एक दूसरे की परस्पर रक्षा का वचन निभाने को दर्शाता है। माना जाता है कि पीपल वृक्ष का पूजन परिवार के लिए भी शुभकारी होता है। इसके बाद घर लौटकर परिवार की बड़ी महिला घर के दरवाजे पर हाथ से हल्दी के छापे भी लगाती हैं। माना जाता है कि छापे घर को नजर और बुरे प्रभाव से दूर रखती है।
कुंडली में दोष निवारण के लिए उत्तम योग
पंडित श्री दवे के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में विष योग, काल सर्प दोष, अमावस्या दोष है , वो लोग इस दिन अपने दोष का निवारण कर सकते हैं। वैस पितरों को शांत करने के लिए भी ये खास योग है। सोमवती अमावस्या पर सूर्य देव को तांबे के बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल मिलाकर ओ पितृय नम: का बीज मंत्र पढ़ते तीन बार अघ्र्य दें। इसके अलावा घर में बनने वाले भोजन का पहला ग्रास निकालकर पितृो के निमित्त भोग लगाकर कंडो का धूप देकर अर्पण करना चाहिए। इसके अलावा श्रीमद भगवत गीता के अध्याय का पाठ करना, रामायण पाठ करना भी चाहिए।
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