नई दिल्ली, 18मार्च। मनोहर परिकर अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी सादगी का हर कोई कायल रहता था। बतौर मुख्यमंत्री वो बिना किसी की फिक्र किए स्कूटर से भी ऑफिस पहुंच जाते थे। लोग उन्हें स्कूटर वाला मुख्यमंत्री भी कहते थे। परिकर आधी बांह की शर्ट पहनना पसंद करते थे। उन्हें वीआईपी कल्चर पसंद नहीं था, यही वजह थी कि वो रेस्तरां की बजाय फुटपाथ पर चाय-नाश्ता किया करते थे। यहीं से मोहल्लों की खबर जुटा लिया करते थे।
वह कहते थे, “चाय स्टॉल पर सभी नेताओं को चाय पीनी चाहिए, राज्य की सारी जानकारी यहां मिल जाती हैं।” वह पंक्ति में लगकर खाना खाते थे, अपना काम भी लाइन में लगकर ही करवाते थे। उनकी सादगी का अंदाजा इससे लगाइए कि उन्हें हूटर लगी गाड़ियां पसंद नहीं थीं। मनोहर पारिकर ने सरकारी आवास तक नहीं लिया था मैं अपने निजी मकान में रहते थे । सीएम रहते हुए भी पारिकर सब्जी लेने और खरीदारी करने से स्वंय बाजार भी जाते थे ।
डॉ. मनोहर गोपालकृष्णन प्रभु परिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार 2000 से 2002 तक, दूसरी बार 2002 से 2005, तीसरी बार 2012 से 2014 और चौथी बार 14 मार्च 2017 से अब तक। 2017 में जब भाजपा गोवा विधानसभा चुनाव में बहुमत से दूर थी, तब दूसरे दलों ने परिकर को मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर ही समर्थन दिया था।
इसके चलते वह दिल्ली से फिर गोवा चले गए। इसके पहले ढाई साल तक वे देश के रक्षा मंत्री रहे। उन्होंने पहला आम चुनाव 1991 में लड़ा था, पर हार गए थे। 1994 के विधानसभा चुनाव में वह पहली बार जीते थे। जून 1999 में वह नेता प्रतिपक्ष बने।
प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी के नाम का प्रस्ताव
बात, 2013 की है। गोवा में भाजपा अधिवेशन शुरू हुआ। पूरे देश में बहस छिड़ी हुई थी कि मोदी पीएम पद के उम्मीदवार होंगे या नहीं। पर भाजपा की ओर से मोदी का नाम कोई खुलकर आगे बढ़ाने को तैयार नहीं था। इसी अधिवेशन के मंच से पहली बार परिकर ने मोदी के नाम को पीएम पद के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावित किया।मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने परिकर से रक्षा मंत्री का पद संभालने को कहा। शुरुआत में परिकर राजी नहीं थे, फिर उन्होंने 2 महीने का समय मांगा और फिर दिल्ली आ गए। परिकर के समय में ही 28 29 सितंबर 2016 को सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की थी।
देश के पहले आईआईटी पास मुख्यमंत्री
परिकर मुख्यमंत्री बनने वाले देश के पहले आईआईटियन हैं। 1978 में उन्होंने आईआईटी मुंबई से मेटलर्जिकल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। 2001 में आईआईटी बांबे ने उन्हें एल्यूमिनी अवॉर्ड से सम्मानित किया था।परिकर उस समय विवाद में आए जब 2001 में 51 सरकारी स्कूलों को संघ की शैक्षणिक शाखा विद्या भारती को दे दिया था। 2014 में ब्राजील में फुटबाल वर्ल्डकप को देखने के लिए परिकर के 3 मंत्री गए थे। इस पर 89 लाख खर्च हुए थे। आलोचना पर बोले- वे सरकार के खर्चे से नहीं गए थे।परिकर की पत्नी का नाम मेधा था, उनकी 1981 में शादी हुई थी। पत्नी का 2001 में कैंसर से मौत हो गई थी। परिकर के दो पुत्र हैं, बड़े बेटे उत्पल परिकर इलेक्ट्रिक इंजीनियर हैं। दूसरे बेटे अभिजीत व्यवसाय करते हैं।
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