रतलाम,17जून(खबरबाबा.काम)। जनवादी लेखक संघ जिला ईकाई रतलाम द्वारा स्थानीय महारानी लक्ष्मीबाई
कन्या विद्यालय कोठारीवास रतलाम में कबीर जयंती पर परिचर्चा तथा काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर अतिथि महंत हिरालालजी साहब कबीर आश्रम हरथली तथा अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश ऐरन ने की ।सर्वप्रथम प्रोफेसर रतन चौहान ने विषय प्रवतन करते हुए कहाँ की भक्तिकॉल से लगाकर कबीर युग तक कबीर ने हिन्दु-मुस्लीम को एक करने की बात कहीं। कबीर अपने युग के महान चिन्तक, दार्शनिक एवं साहित्यकार रहे हैं। उनकी प्रासंगिकता हर युग में रहेगी। वें दलित शोषित दलित के पक्ष में खडे थे। हिन्दी साहित्य उनके बिना अधुरा है। व्यंग्यकार झुझार सिंह भाटी ने कबिर के दोहे गाकर सुनाए। मुख्य अतिथि महंत हिरालालजी साहब कबीर आश्रम हरथली ने कबीर के जन्म निर्वाण तथा उनके द्वारा समाज सुधार
के क्षेत्र में किये गये कार्यों का वर्णन किया तथा कबीर भजन सुनाएँ। अध्यक्षता कर रहें, डॉ. ऐरन ने कबीर के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला । कार्यकम का संचालन करते हुए नाट्यकर्मी युसुफ जावेदी ने कबीर के उलटबासी पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ अभिभाषक शान्तिलाल मालवीय कबीर के अनछुए पक्ष को उजागर किया । इस पहले सत्र का आभार संस्था सचिव श्री रणजीतसिंह जी राठौर ने माना ।
दुसरे सत्र में काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रोफेसर रतन चौहान तथा संचालन युसुफ जावेदी ने किया । जिसमें निम्नांकित कवियों ने कविता पाठ किया। सर्वप्रथम पेंशनर संघ
अध्यक्ष किर्ती शर्मा ने जनगीत प्रस्तुत किया। सायर अब्दुल सलाम खोखर , हरिशंकर भट्नागर ने समसामयिक गजले पेश की । जनकवि श्याम माहेश्वरी ने अपनी कविता में भुका-पेट उँची डाली प्रस्तुत की। दिलीप जोशी ने श्रंगार गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर जन्मेजय उपाध्याय , प्रकाश हेमावत , नविनचंद गेहलोत ,नवशिल , कृष्णकांत प्यासा , झुझार सिंह भाटी,लक्ष्मण पाठक , सुभाष यादव , नरेन्द्र पण्डया , सुरेश माथुर , जवेरी लाल गोयल, डॉ0 ओमप्रकाश ऐरन, रतन चौहान , रणजीत सिंह राठौर राज आदि ने कविता पाठ किया । इन रचनाओं पर प्रोफेसर रतन चौहान ने सारगर्भित टिप्पणी करते हुए कहां की समाज की विदुपताओं को कवि उजागर करें। समाज में हो रहें शोषण से किस तरह मुक्ति मिले यह बात अपनी कविताओं में प्रस्तुत करें। उन्होने धुमिल की कविता को कोड करते हुए कि कविता क्या कुर्ता है, पाजामा है,ना भाई ना कविता शब्द की अदालत में , मुजरिम के कटघरे में खडे बेकसुर आदमी का हलफनामा है। कविता क्या है, व्यक्तित्व बनाने की चिज है, चरित्र चमकाने की चिज है, ना भाई ना,
भाषा में आदमी होने की तमीज है। इस अवसर पर सुधि श्रोता उपस्थित थे। आभार जलेस अध्यक्ष रमेश शर्मा ने माना।
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