रतलाम,19अप्रैल(खबरबाबा काम)। वर्षीतप की तपस्या करने वाले 156 तपस्वियों के अनुमोदनार्थ आज प्रातः भव्य चल समारोह आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर जी महाराज साहब की निश्रा में मोतीपूज्य मंदिर से निकला। जो कि विभिन्न मार्गों से होते हुए हनुमान रुण्डी पर पहुँचा जहां सभी तपस्वियों का बहुमान किया गया ।
तपस्वियों के पारणोत्सव का आयोजन आगामी 23 अप्रैल रविवार को अक्षय तृतीया पर करमदी तीर्थ पर रखा गया है।
वर्षीतप की तपस्या करने वाले आराधकों का भव्य चल समारोह श्री देवसूर तपागच्छ चार थुई श्री संघ, ऋषभ देव केशरीमल जैन श्वेताम्बर पेढ़ी एवं श्री पार्श्वनाथ जैन सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित किया गया। मोतीपूज्य मंदिर चौमुखीपुल से चल समारोह शुरू हुआ जो कि घाँस बाज़ार, माणक चौक, डालूमोदी बाज़ार, धानमंडी , गणेश देवरी, बजाजख़ाना, चाँदनीचौक होते हुए हनुमान रुण्डी पर समापन हुआ । चल समारोह में 9 रथ, 21 बग्गिया तथा बैल गाड़ी एवं ऊँट गाड़ियों में सभी वर्षीतप आराधको को बैठाया गया था । चल समारोह में सबसे आगे सात घुड़सवार जैन धर्म का ध्वज एवं इंद्र ध्वजा लेकर चल रहे थे। बड़नगर तथा रतलाम के दो बैंड जैन भजनों की प्रस्तुति देते हुए चल रहे थे । इसके अलावा चल समारोह में आदिवासी बैंड के साथ आदिवासी भाई- बहन नृत्य करते हुए चल रहे थे ।
पुष्पक मार्केट पर तपस्वियों का बहुमान किया गया
डालूमोदी बाज़ार स्थित पुष्पक मार्केट पर नवकार डेवलपर्स की और से तपस्वियों का बहुमान किया गया । सबसे कम 11 वर्ष की उम्र में वर्षीतप करने वाली बालिका कु. काव्या पिता विपुल मेहता का नवकार डेवलपर्स की और से राजेश जैन, मुकेश मेहता, शरद मूणत, इंदर लुनावत, ललित कोठारी , सुनील जोशी , प्रह्लाद अग्रवाल, मनोज मेहता, कुशाग्र जैन, मनीष मूणत,अमित शाह, अजय पितलिया, दिलीप माण्डोत,मुदित मांडोत, हितेश कटकानी, निर्मल कटकानी, प्रवीणा जैन, पायल मेहता, कविता मेहता,नम्रता जैन सुनीता मूणत, दीपा जोशी, साक्षी मेहता आदि ने सभी तपस्वियों को मोती की माला पहनाकर बहुमान कर अनुमोदना की ।
अक्षय तृतीया पर होगा भव्य पारणोत्सव
आगामी 23 अप्रैल रविवार को करमदी जैन तीर्थ पर वर्षीतप आराधको का पराणोत्सव आयोजित किया गया है । देवसूर तपागच्छ श्री संघ के प्रमुख मोहनलाल काँसवा, अध्यक्ष अभय लुनिया, वर्षीतप समिति के सदस्य मनोज मेहता,उत्तम कटकानी,पंकज काँसवा, अमृत जैन, सचिन काँसवा, रितेश धारिवाल आदि ने बताया कि 23 अप्रैल अक्षय तृतीया पर प्रातः प्रभु आदिनाथ का इसु रस से पक्षाल किया जाएगा, उसके पश्चात आचार्यश्री के प्रवचन होंगे तत्पश्चात् आराधकों का पारणा कार्यक्रम सम्पन्न होगा। उसके पश्चात समस्त नवकार मन्त्र आराधको का स्वामीवात्सल्य आयोजित किया गया है।