नई दिल्ली,11अगस्त(खबरबाबा.काम)। केंद्र सरकार अंग्रेजों के जमाने के कुछ कानूनों में संशोधन करने जा रही है। इसके लिए सरकार दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक 2023 लाएगी।
इसकी जानकारी लोकसभा में देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब ‘भारतीय न्याय संहिता 2023’ होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ प्रस्थापित होगा। और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ प्रस्थापित होगा।’
‘नए कानून की भावना भारतीयों को अधिकार देने की’
लोकसभा में बोलते हुए गृहमंत्री ने कहा कि ‘इन तीनों कानूनों को रिप्लेस कर के इनकी जगह तीन नए कानून जो बनेंगे, उनकी भावना भारतीयों को अधिकार देने की होगी। इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं होगा। इसका उद्देश्य होगा लोगों को न्याय देना।’ अमित शाह ने कहा कि ’18 राज्यों, छह केंद्र शासित प्रदेशों, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सासंद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं। चार साल तक इस पर काफी चर्चा हुई है। हमने इस पर 158 बैठकें की हैं।
सरकार ने गठित की थी समिति
बता दें कि केंद्र सरकार ने आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय सबूत कानून 1872 में संशोधन के लिए एक आपराधिक कानून संशोधन समिति का गठन किया। इस समिति का प्रमुख दिल्ली स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाइस चांसलर डॉ. रणबीर सिंह को बनाया गया। इस समिति के अन्य सदस्यों में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ. जीएस बाजपेयी, डीएनएलयू के वाइस चांसलर डॉ. बलराज चौहान और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी, और दिल्ली डिस्ट्रिक्ट एंड सेशल कोर्ट के पूर्व जज जीपी थरेजा शामिल थे। फरवरी 2022 में इस समिति ने जनता से सुझाव के बावजूद सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। अप्रैल 2022 में कानून मंत्रालय ने राज्य सभा में बताया कि सरकार आपराधिक कानूनों की समीक्षा कर रही है।
न्याय व्यवस्था में आएगा बदलाव
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के बनाए कानून से चल रहा था। अब इन तीन नए कानूनों से देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य तय किया है कि दोषसिद्धि की दर को 90 प्रतिशत से ज्यादा किया जाएगा। अपराध स्थल पर फोरेंसिक टीम का जाना अनिवार्य होगा। नए विधेयक में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के मामले से संबंधित नए प्रावधान किए गए हैं। नाबालिग से दुष्कर्म जैसे मामलों में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही एक तय सीमा में सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाएगी।
राजद्रोह के कानून को “भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य” के रूप में परिभाषित किया गया है। इसके लिए न्यूनतम सजा को 3 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया गया है। बता दें कि अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों, अलगाववादी गतिविधियों या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के खिलाफ नया कानून पेश किया गया है, इसमें राजद्रोह पर कानून का स्थान ले लिया है।
मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म पर मौत की सजा
मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे 3 बिल में सबसे बड़ा कदम मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म पर मौत की सजा है। सरकार ने मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा में लाया है। मॉब लिंचिंग तब कहा जाता है जब 5 से ज्यादा लोगों का एक समूह जाति, समुदाय, लिंग, भाषा के आधार पर हत्या करता है। बिल में ऐसे अपराधियों को 7 साल की कैद और अधिकतम मौत की सजा के साथ जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
वहीं, किसी भी सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आरोपियों को 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। दुष्कर्म के मामले में न्यूनतम सजा को 7 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
दाऊद जैसे भगोड़ों पर भी चल सकेगा केस
सरकार द्वारा पेश किए गए 3 कानून संबंधी बिल में भगोड़ों को सजा दिलाने का भी प्रावधान किया गया है। नए कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति देश छोड़कर भाग जाता है, तो उसपर भी अब केस चल सकेगा। सत्र न्यायालय व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी केस चला सकेगी और उस व्यक्ति को बचने के लिए वापस लौटना होगा।
ये भी हुए बदलाव
नए बिल से देशद्रोह कानून का खात्मा होगा।
हेट स्पीच देने पर भी अब 5 साल तक की सजा होगी।
नए बिल के अनुसार, सीआरपीसी में अब 356 धाराएं होंगी, जबकि पहले 511 धाराएं थीं।
7 साल से ज्यादा सजा होने पर फोरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य होगा और लाइव वीडियोग्राफी होगी।
एफआईआर दर्ज करने से लेकर केस डायरी, चार्ज शीट और फैसला लेने तक की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया जाएगा।
अपराध कहीं भी हो, लेकिन एफआईआर देश के किसी भी हिस्से में हो सकेगी।
पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाने वालों पर भी केस चलेगा और सजा मिलेगी, इससे लवजिहाद पर लगाम लगेगी।
लापरवाही से मौत की सजा बढाकर 2 साल से 7 साल कर दी गई है।