रतलाम,18 नवंबर(खबरबाबा.काम)। संसार में आज चारो तरफ कडवाहठ फैली है। मन, वचन और जीवन की कडवाहठ से भाई-भाई और पिता-पुत्र में प्रेम घट रहा है। हमारा ज्ञान जितना बढता है, उतनी कटुता समाप्त होती है। इसलिए जीवन में कुछ नहीं हो, तो ज्ञान की साधना बढाओं। ज्ञान से तीन सिद्धियां मिलेगी। पहली तनाव से मुक्त करेगा, दूसरी शांतिपूर्ण जीवन मिलेगा और तीसरा प्रज्ञा का जागरण होगा।
यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने ज्ञान पंचमी पर छोटू भाई की बगीची में विशेष प्रवचन देते हुए कही। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण जीवन के लिए अच्छा साधक बनना आवश्यक है। साधना संकल्प सिद्धी का महान उपक्रम है। इससे सारे लक्ष्य हासिल होते है। व्यक्ति संकल्प तो करता है, लेकिन वे सिर्फ धार्मिक स्थलों तक ही सीमित रह जाते है। संकल्प मजबूत होगा, तभी ज्ञान की साधना करने का फल प्राप्त होगा।
आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में जब तक प्रज्ञा का जागरण नहीं होता, तब तक व्यक्ति किंकर्तव्यविमूढ बना रहता है। ज्ञान की साधना कर कई साधकों ने अपने जीवन को संवारा है। इसलिए सबकों साधना के क्षेत्र में आगे बढना चाहिए। इसके लिए ज्ञान प्राप्ति का संकल्प करना जरूरी है। कोई ज्ञान प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हो, तो उसकी सेवा, सहयोग करना चाहिए। बाधक नहीं बनना चाहिए। इससे ज्ञान प्राप्त करने का अपना मार्ग अवरूद्ध हो जाता हैं।
आचार्यश्री ने कहा कि ज्ञानवान का सदैव सम्मान करना चाहिए। इससे ज्ञान बढता है। ज्ञानी के प्रति हीनता, बैर और द्वेष का भाव हमारे ज्ञान को बाधित करता है। जीवन में जिससे भी ज्ञान मिले, उसका सदैव उपकार माने और उनका नाम कभी नहीं छुपाएं। ज्ञान और ज्ञानी के प्रति सदैव कृतज्ञता का भाव हो, कभी भी ज्ञान का अहंकार नहीं करे, क्योंकि इससे वह कमजोर हो जाता है। आरंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने विचार रखे। इस दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।