नई दिल्लीः अबकी बार त्यौहार के पहले गाड़ियां महंगी हो सकती है. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि गाड़ियों के सेस पर बढ़ोतरी का फैसला इस बार जीएसटी काउंसिल की होने वाली बैठक में लिया जा सकता है.
वस्तु व सेवा कर के लिए दर तय करने और कायदे कानून बनाने वाले परिषद यानी जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक शनिवार को हैदराबाद में होने वाली है. इस बैठक में ये साफ होगा कि छोटी गाड़ियों को छोड़ बाकी सभी पर सेस में कितनी बढ़ोतरी होगी. बहरहाल, गाड़ियों पर सेस अगर 10 फीसदी बढ़ा दिया जाए तो गाड़ियों के दाम सात से साढ़े सात फीसदी तक बढ़ सकते हैं.
बैठक में 30 से भी ज्यादा सामान पर जीएसटी की दर में फेरबदल पर भी विचार होगा. इन सामान में फूल झाडू, मिट्टी की मूर्ति, हवन सामग्री, साड़ी फॉल, खादी के कपड़े और वस्त्र वगैरह मुख्य रुप से शामिल हैं. मुमकिन है कि इनमें से कुछ सामान को पूरी तरह से जीएसटी से मुक्त कर दिया जाए जबकि कुछ पर दरों में कमी का प्रस्ताव है.
छोटी गाड़ियों को छोड़ बाकी सभी पर सेस 10 फीसदी तक बढ़ाने के लिए अध्यादेश जारी हो चुका है. अभी पेट्रोल से चलने वाली छोटी गाड़ी (4 मीटर तक लंबी) पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी और 1 फीसदी की दर से सेस लगता है जबकि डीजल से चलने वाली छोटी गाड़ी (4 मीटर तक लंबी) पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी और 3 फीसदी की दर से सेस लगता है. वहीं मझौली और बड़ी गाड़ियों पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी और 15 फीसदी की दर से सेस यानी कुल मिलाकर 43 फीसदी टैक्स लगता है. अब 43 फीसदी की दर 53 फीसदी तक हो सकती है.
वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी साफ कर चुके हैं कि 10 फीसदी तक सेस में बढ़ोतरी का मतलब ये कतई नहीं है कि सभी गाड़ियों पर टैक्स की दर 43 फीसदी की जगह पर 53 फीसदी हो जाएगी. हर गाड़ी पर सेस की अलग-अलग दर होगी. इस बारे में अधिकारियो की समिति ने एक मसौदा तैयार किया है जिसमें जीएसटी लागू होने के पहले कुल दर और बाद की दर का ब्यौरा दिया गया है. इसी आधार पर अब परिषद तय करेगी कि किस गाड़ी पर सेस की दर कितनी होगी.
दूसरी ओर उद्योग जगत चाहता है कि त्यौहारों को देखते हुए कम से कम मझौली आकार की गाड़ियों पर सेस में बढ़ोतरी नहीं की जाए. अगर ऐसा हुआ तो दाम बढ़ाने पड़ेंगे जिससे त्यौहारी खरीद पर असर पड़ेगा. बहरहाल, सूत्रो का कहना है कि जिस तरह से सेस से जुड़े अध्यादेश लाने में तेजी बरती गयी है, उसके बाद लगता नहीं है कि सेस की बढ़ी हुई दर लागू करने में किसी तरह की देरी होगी.
ध्यान रहे कि जीएसटी लागू होने के बाद ये आलोचना होती रही कि बड़ी गाड़ियों और एसयूवी पर टैक्स की प्रभावी दर कम हो गयी है. इस आलोचना को और भी बल तब मिला जब तमाम ऑटो कंपनियों ने गाड़ियों के दाम घटा दिए. परिषद की पिछली बैठक में भी कुछ राज्य सरकारों ने ये मुद्दा उठाया. इसी के बाद परिषद में ये तय हुआ कि सेस से जुड़े कानून में केंद्र सरकार फेरबदल करेगी. चूंकि इस समय संसद का सत्र नहीं चल रहा है जिसके चलते कैबिनेट ने अध्यादेश जारी करने का फैसला किया.
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