रतलाम(खबरबाबा.कॉम)।भोपाल से खबर आई है कि भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं ने एक बैठक करके इस बात पर मंथन किया कि 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा दिये गए दौ सौ पार के लक्ष्य को कैसे हांसिल किया जा सकता है ।बड़े आश्चर्य की बात है कि सत्ता का मजा ले रही भाजपा ने इन 15 वर्षों में कभी भी अपने उन जमीनी कार्यकर्ताओ के दुख दर्द पर मंथन नही किया ।जिन्होंने रात दिन एक कर लगातार तीन बार सत्ता पर काबिज कराया है ।
2018 के विधानसभा चुनावों में दो सौ से ज्यादा सीटों के साथ चौथी पारी खेलने का स्वप्न देख रही पार्टी के नेताओ को शायद जमीनी हकीकत का अंदाज़ा नही है । लगातार तीन बार सत्ता पर काबिज होने के पीछे पार्टी के जिन जमीनी कार्यकर्ताओ के दिल का दर्द यदि सामने आ जाये तो पार्टी के नेताओ को एहसास हो जाएगा कि पार्टी के अंदर कार्यकर्ताओ में आक्रोश जमकर उबल रहा है। अनुशासन के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं की टीस मन के बाहर नही आ पा रही है ।पार्टी की जड़ों को सींचने वाले कार्यकर्ताओ और नेताओं की आवाज़ को दबा दिया गया और अवसरवादी लोंगो को ताज बांटे जा रहे है ऐसा पार्टी कार्यकर्ता दबी जुबान से कहते नज़र आते है। पार्टी का एक सक्रिय कार्यकर्ता आमजन से जुड़ी छोटी सी समस्या का निराकरण भी किसी अधिकारी से करवाने में सक्षम नही है ।कार्यकर्ताओ की तो छोड़ो नेताओ की भी अधिकारी नही सुनते । नगर निगम रतलाम इसका ज्वलंत उदाहरण है । यहां की कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है कि जनप्रतिनिधियो का चुनाव तो यहां पर चौकीदारी करने के लिए किया गया है ।असली सरकार तो अधिकारी ही है। भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की तो यह हालत है कि अधिकारी उन्हें कुर्सी पर बैठने तक का नही बोलते । हां चाटुकार किस्म के लोगो को अधिकारी जरूर बैठाकर चाय भी पिलाते है ।
कार्यकर्ताओ के साथ ये स्थिति कमोबेश पूरे प्रदेश में है और इन हालातों में पार्टी कार्यकर्ताओं से उम्मीद लगाए बैठी है कि वे कमर कस कर मैदान में आ जाये। हां यह जरूर है कि ऐसे अवसरवादी कार्यकर्ता और नेता जो समय के साथ अपनी आस्था बदलते रहते है और वर्तमान में पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर काबिज है वे जरूर सक्रिय होकर मैदान में उतर जाएंगे लेकिन वे जनता को कितना संतुष्ट कर पाएंगे यह तो समय ही बताएगा ।पार्टी सूत्रों से पता चला है कि हाल ही में पार्टी ने प्रदेश की सभी विधान सभा सीटों पर सर्वे कराया है । सर्वे के नतीजों से पार्टी आलाकमान के होंश उड़े हुए है ।करीब एक सो सीट पर जहा वर्तमान में भाजपा का कब्जा है वहा पार्टी की हालत पतली है ।एक आंकलन के मुताबिक रतलाम,झाबुआ,मंदसौर,नीमच और धार जिलों में ही भाजपा करीब 80 प्रतिशत सीटों पर खतरे में है । रतलाम जिले में ही 5 में से 4 सीटों पर भाजपा पिछड़ती नज़र आ रही है । पार्टी के इन हालातों की जिम्मेदार खुद पार्टी ही है । कार्यकर्ताओ की अनदेखी, लालफीताशाही पर निरंकुशता और उन पर निर्भरता ने जन मानस में आक्रोश पैदा कर दिया है जिसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में पार्टी को भुगतना पड़ सकता है ।
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