रतलाम।(खबरबाबा. कॉम)हर दिन सुबह होती ही जिंदगी चल पड़ती है , सिर्फ दो जून रोटी के लिये । नंगे पैर हाथो में रोटी की पोटली लिए सैकडो लोगो की यह भीड़ तड़के सुबह शहर की सड़को , चौराहों में दिखती है , इस भीड़ को तलाशने कई ठेकेदार भी इन्हें गिद्ध वाली नजरो से देखते है , फिर सौदा होता है , और बस कुछ ही देर में किसी लोडिंग वाहन में इस भीड़ को भर कर ले जाया जाता है । हम उस भीड़ की बात कर रहे है जो दो जून रोटी की मजबूरी में मजदूरी करने के लिये गांव से पलायन कर निकलने वाले उन मजदूरों की जो इन दिनों फसल काटने के लिये जा रहे हैं । फसल काटने का ठेका लेने वाला सेठ भी इन मजदूरों को लोडिंग वाहन में भर कर ले जाता है , जो यातायात नियमो की जहाँ धज्जियां उड़ा रहा है , वही इन मजबूर मजदूरों के साथ हादसों को न्यौता भी देता है । कम पैसो में अधिक मजदूर ले जाने की नीयत से इन मजदूरों को मौत के खतरों भरा सफर ही करना पड़ता है । फिर मजदूरों की छीनाछपटी जैसे दृश्य भी देखने को मिलते है । आश्चर्य तो इस बात का है रविवार सुबह ऐसे खतरों भरे दृश्यों को यातायात थाने के पीछे अनेको लोगों ने देखा , पुलिस भी मजदूरों की दौड़ती भागती भीड़ को तमाशबीन बन कर इस तरह देखती रही , जैसे कोई जुलुस निकल रहा हो , हादसों को रोकने के लिये उस वक्त पुलिस के कानून और जिम्मेदारी ना जाने कहाँ कैद हो कर रह गयी थी …?