रतलाम, 23 जून(खबरबाबा.काम)। श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ के तत्वावधान में शनिवार को मोहन टॉकीज में पद्मभूषण से विभूषित राज्य प्रतिबोधक, सरस्वतीलब्धप्रसाद आचार्य श्रीमद् विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी महाराज का नारी महान क्रांति शिविर इतिहास रच गया। म.प्र. में पहली बार आचार्यश्री द्वारा किए गए इस शिविर में 5000 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। आचार्यश्री ने युवा पीढी को संस्कार एवं अनुशासन का पाठ पढाया। शिविर में आचार्यश्री ने सदैव सिगरेट, शराब व गर्भपात से दूर रहने का संकल्प दिलाया।
आचार्यश्री ने कहा शादी के लिए वर्तमान युग में सौंदर्य, संपत्ति और डिग्री को महत्व दिया जाता है, लेकिन इससे जीवन सुखी नहीं होता। संबंधों के लिए समय, संस्कार, आंखों की शर्म और समझ को पहले महत्व देना होगा। सामने वाला भले ही करोड़ों का मालिक हो, लेकिन उसके पास समय है या नहीं। जीवन साथी व्यक्ति संस्कारित कितना है और उसकी आंखों में शर्म कितनी है। हर परिस्थिति में ढल जाने की समझ भी देखें, अन्यथा जीवनभर पछताना पड़ेगा। किसी का मर्डर हो तो उसे बचाया जा सकता है, लेकिन सुसाईड करने वाले को बचाया नहीं जा सकता। वर्तमान में शादी के बाद संबंधों में दरार के कारण तलाक की संख्या लगातार बढ रही है। इसका मूल शादी के बाजार में सौंदर्य, सम्पत्ति और डिग्री को महत्व देना है।
आचार्यश्री ने मन में कोई बात नहीं रखने की सीख देते हुए कहा माता-पिता अथवा गुरू कुछ भी कहे तो मन में न रखें। इन बातों को दिमाग से तत्काल निकाल दें। उपकारी के प्रति जीवन में कभी गलत फहमी नहीं रखनी चाहिए। जीवन की गाड़ी को सिग्नल, ब्रेक, स्पीड ब्रेकर और रिवर्स गियर से संचालित करना चाहिए। माता-पिता कभी रोक का सिग्नल दें तो रूकने की स्थिति में रहें। जीवन में जहां खतरा लगे वहां ब्रेक लगावें और लगे कि यदि गलत आ गए है, तो सीधे रिवर्स गियर लगाकर लौट आएं। स्पीड बे्रकर का ध्यान रखते हुए धीरे-धीरे चलने का प्रयास करें। जीवन में मर्यादाओं को भंग ना करें। आचार्यश्री ने गुरू दक्षिणा के रूप में व्यसनों और सामाजिक अपराध से दूर रहने का संकल्प मांगा, जिस पर सभी महिलाओं ने सहमति दी। शिविर का शुभारंभ पुखराज कोठारी, पुखराज ललवानी, अर्चना ललवानी, रश्मि बम्बोरी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस मौके पर संगीता जैन ने सुमधुर भक्ति गीत प्रस्तुत किए। संचालन मुकेश जैन द्वारा किया गया।
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