रतलाम,3 जुलाई(खबरबाबा.काम)। दीक्षा दानेश्वरी, आचार्य प्रवर, 1008 श्री रामलालजी म.सा.की निश्रा में काटजू नगर स्थित समता भवन में हर्ष हर्ष, जय जय की गूंज के बीच श्री दिनेश मुनिजी की बड़ी दीक्षा संपन्न हुई। इस मौके पर आचार्य श्री रामेश ने कहा कि भवन में प्रवेश के लिए द्वार की आवश्यकता पड़ती है, वैसे ही मोक्ष के लिए संयम द्वार आवश्यक है।
आचार्यश्री ने कहा कि आत्मा का सिद्धत्व स्वरूप साधना से ही प्राप्त होता है। प्रभु के जैसा ही आत्मा का स्वरूप होता है। संयम उसकी सिद्धी का द्वार है। शासन प्रभावक श्री धर्मेश मुनिजी म.सा.ने तीर्थंकरों से लेकर पूर्वाचार्यों तक के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने जो मर्यादा निर्धारित की है। उसकी साधना भी निर्धारित की गई है। इसके माध्यम से ही आत्मा पूर्ण चरित्र की और अग्रसर होती है। श्री प्रशम मुनिजी म.सा.ने अणुव्रत महाव्रत का विश्लेषण करते हुए कहा कि जीवन को जीने के लिए व्रत की आवश्यकता है। इससे आत्मा सुगति की अधिकारी होती है।
नवदीक्षित श्री दिनेशमुनिजी म.सा.ने संकल्प पत्र के माध्यम से तन, मन को गुरू आज्ञा पर न्यौछावर करने का समर्पण भाव व्यक्त किया। इस दौरान श्रावक-श्राविकाओं से खचाखच भरा परिसर- गुरूवर हो तो, कैसे हो, राम गुरूवर जैसे हो। मुनि हो तो कैसे हो, दिनेश मुनि जैसे हो के स्वरों से गूंज उठा। श्री दिनेश मुनि ने गत 21 जून को रतलाम में स्टेशन रोड स्थित पगारिया हाउस में आचार्यश्री रामेश से भगवती दीक्षा ली थी। बड़ी दीक्षा के कार्यक्रम में श्री संघ पदाधिकारी, महिला मंडल, बहू मंडल, समता युवा संघ, समता बालक मंडल, बालिका मंडल, काटजू नगर श्री संघ, जावरा, खाचरौद, बिरमावल, इंदौर, बडनगर, मंदसौर, नीमच सहित कई स्थानों के श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए। अंत में नेमचंद सौभागयमल कोठारी परिवार द्वारा प्रभावना का वितरण किया गया। चातुर्मास संयोजक महेंद्र गादिया ने बताया कि काटजू नगर स्थित समता भवन में आचार्यश्री की निश्रा में प्रतिदिन सुबह 6.40 बजे प्रार्थना, 7 बजे मांगलिक व सुबह 9 से 10.15 बजे तक प्रवचन का आयोजन हो रहा है। श्री राकेशमुनिजी म.सा.जैन कालोनी में विराजित है।
आचार्य श्री रामेश ने कहा: मोक्ष के लिए संयम द्वार आवश्यक।श्री दिनेशमुनिजी की बड़ी दीक्षा संपन्न।
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