रतलाम, 2जुलाई(खबरबाबा.काम)। मंगलवार को जिला प्रशासन के संवेदनशील रवैये ने चार बालिकाओ के जीवन को नई दिशा दे दी।माता-पिता की मौत के बाद वृध्द दादी के साथ बड़ी मुश्किल से जीवन यापन कर रही इन बालिकाओं को कलेक्टर के निर्देश पर बालिका छात्रावास में भेजा गया है,जहां इनकी रहने, पढ़ाई एवं अन्य व्यवस्था की गई है।
बेटे-बहु की मौत के उनके पांच बच्चों का पालन पोषण कर हार चुकी 63 वर्षीय वृद्धा मंगलवार को कलेक्टर से मिलने पहुंची। कलेक्टर रुचिका चौहान से वृद्धा ने इस उम्र में उसके द्वारा बच्चों का पालन पोषण करने में असमर्थता जताई। ये सुन कलेक्टर ने तत्काल एडीएम को उनकी व्यवस्था का जिम्मा सौंपा। एडीएम डा. कैलाश बुंदैला ने बच्चियों को बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा विभाग द्वारा संचालित बालिका छात्रावास में चारों बालिकाओं का प्रवेश करा दिया।
कलेक्टर और एडीएम ने समझी पीड़ा
ये मामला मोरवानी निवासी संतोषबाई के साथ का है। कलेक्टर कार्यालय पहुंची वृद्धा ने बताया कि गत वर्ष होली व दीपावली के समय बेटे सूरज व बहु ललिता की मौत हो गई थी। इन दोनों के जाने के बाद बीते छह से सात माह से वह जैसे-तैसे इन बच्चों को पालन पोषण कर रही है, लेकिन अब और क्षमता नहीं बची है, वृध्दा ने कहा कि यदि कुछ मदद मिल जाए तो इन बच्चों को एेसे ठोकर नहीं खाना पडेग़ी। वृद्धा की हालत और छोटे-छोटे बच्चों को देख कलेक्टर ने एडीएम डॉ. कैलाश बुंदेला को उनकी व्यवस्था का जिम्मा सौंपा तो वे सभी को लेकर अपने कार्यालय पहुंचे और उनकी पढाई और रहने की व्यवस्था की।
बासिंद्रा छात्रावास में रहेगी बच्चियां
एडीएम डा.बुंदैला ने जिला शिक्षा केंद्र के अधिकारी सोहन शिंदे से उनकी मुलाकात कराई। एडीएम ने शिक्षा विभाग के उक्त अधिकारी को बच्चों की देख-रेख के संबंध में जानकारी मांगी, जिस पर उनके द्वारा बासिंद्रा में आरएसटी का बालिका छात्रावास होने की जानकारी दी, जहां पर बच्चियों के रहने, खाने, पहनने के कपडे़, खेलकूद व बेहतर शिक्षा मिलने की बात कही। ये सुन एडीएम ने वृद्धा से बालिकाओं को छात्रावास भेजने के लिए पुछा, तो वह भी बच्चों के भविष्य को देख राजी हो गई। शिक्षा विभाग से आए अधिकारी ने चार बालिकाओं की व्यवस्था की हां तो कर ली लेकिन करीब एक वर्षीय बालक को देख उसकी व्यवस्था करने में असमर्थता जताई। बाद में कुछ लोगों ने उसके लिए पालना गृह भेजने या उसकी बेहतर व्यवस्था के लिए कुछ और विकल्प भी तलाशने की बात कही। बालक की कम उम्र को देखते हुए कुछ दिन के लिए वृद्धा को पौते को उनके साथ रखने के लिए कहा, जिस पर वह राजी हो गई। इसके बाद बालिकाओं को बासिंद्रा छात्रावास भेजने के लिए एडीएम ने वाहन की व्यवस्था कराकर उन्हे नई और बेहतर जिंदगी जीने के लिए भेज दिया।
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