रतलाम 13 अगस्त (खबरबाबा. काम) । नवकार महामंत्र शास्वत और सिद्ध है. इसका जो 68 लाख जप करें और जिस स्थान पर 68 करोड़ जप होता है. वे दोनों शक्तिपीठ हो जाते है. ऐसे महामंत्र का अनादिकाल से आज तक जप निरंतर जारी है. जितना अधिक जप उतना अधिक लाभ. ऐसे मंत्राधिराज की चातुर्मास में नव दिनी आराधना का अवसर बड़े भाग्य से मिलता है. इस भाग्य को अपना सौभाग्य बनाकर जीवन सफल करें.
जिनशासन रत्न श्री जिनचन्द्रसागरसूरिजी म.सा. एवं पू.आ. श्री हेमचंद्रसागरजी म.सा. ‘‘बंधु बेलड़ी’’ द्वारा नवकार महामंत्र आराधना की इस महिमा वन्दन के साथ नवदिनी आराधना प्रारम्भ हुई. इस दौरान अखंड जप भी चलेगा. जबकि 36 लाख आलेखन का अनुष्ठान निरंतर जारी है. श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ रतलाम द्वारा आगमोद्धारक वाटिका पर धर्म जागरण चातुर्मास के 23 वे दिन नवकार मय वातावरण हो गया. अखंड जप में सुबह 6 से शाम 7 बजे तक महिलाएं जबकि शाम 7 से सुबह 6 बजे तक पुरुष जप कर रहे है. जिसकी विधिविधान के साथ शुरुआत विधिकारक पं. निकुंज भाई अहमदाबाद ने करवाई. रात्रि में 8.30 से 9.30 बजे तक विधिकारक विशिष्ट वक्तव्य प्रदान करेंगे. यंहा 68 तीर्थो की भाव यात्रा भी होगी. आराधना का यह सिलसिला 22 अगस्त तक चलेगा. रतलाम में धर्म जागरण चातुर्मास में इस आराधना का आचार्य श्री के सानिध्य में लाभ का यह दुर्लभ अवसर पुरे 36 साल बाद आया है. नवकार आराधना को लेकर समाजजनो में भारी उत्साह है.
सावन में साधना की झड़ी –
गुरु गुणानुवाद सभा में श्री हेमचन्द्रसागर जी मसा व गणिवर्य श्री गणिवर्य श्री विरागचन्द्रसागरजी म.सा ने बताया साधना का सावन प्रारम्भ हो चूका है. जिसमे आराधना की झड़ी लग रही है. नवकार की साधना भव से पार जाने का सबसे सहज और सरल मार्ग है. जिन शासन में मनुष्य जन्म पाकर भी यदि नवकार महामंत्र की आराधना नहीं की तो जीवन व्यर्थ ही गवाया. अखंड जप का तो विशिष्ट महत्व है. यह दुनिया का ऐसा मन्त्र है जिसका अनादिकाल से जप चल रहा है. कोई भी क्षण ऐसा नहीं जाता है जब कोई इसका जप नहीं करता हो. उन्होंने बताया अयोध्यापुरम में प्रतिष्ठा के पूर्व 36 माह तक अखंड जप किया गया था जबकी 27 दिनों तक यंहा साधु साध्वी जी ने जाप किया. इसी की महिमा से इस तीर्थ का इतना प्रताप बढ़ा है. जिस किसी भी भाव से यह जप किया जाता है, वह फलित होता है. नव दिवसीय आराधना मंत्राधिराज की उपासना का महापर्व है.
प्रवक्ता पारस भंडारी ने बताया आराधना के लाभार्थी मोहनबाई कनकमल गुगलिया का श्री संघ की ओर से अध्यक्ष सुनील लालवानी, पारसनाथ सेवा समिति अध्यक्ष शांतिलाल पोरवाल और जैनानंद नवयुवक मंडल के संजय मूणत ने किया. भगवती सूत्र का स्वर्ण मुद्रा से पूजन का लाभ लालचंद सुराना परिवार ने लिया.