भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल सन् 1891 में मध्यप्रदेश के महू में हुआ था। बाबा साहेब के नाम से मशहूर आंबेडकर ने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म की चतुर्वण प्रणाली और भारतीय समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष में बिता दिया। उन्हें 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
बाबासाहेब का जीवन सचमुच संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। जीवन भर वह दलितों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते रहे। साथ ही उन्होंने हमेशा मजदूर वर्ग व महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया।
आज डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आइए जानते हैं उनके कुछ विचार-
1. जीवन लम्बा होने के बजाय महान होना चाहिए।
2. मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है
3. इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो।
4. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
5. समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।
6. जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते,कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिये बेमानी है।
(लाइव हिन्दुस्तान से साभार)
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