रतलाम,22मार्च(खबरबाबा.काम)। आदिवासी अंचल के सैलाना विकासखंड के गांव सरवन के पास पाटड़ी गांव में तेंदुआ दिखने से हलचल मच गई थी। हालांकि वन विभाग की टीम गांव के लोगों की बात मानने को तैयार नहीं थी। तेंदुआ के बजाय किसी जंगली होने की बात कहती रही लेकिन नकटीपाड़ा में जानवरों के शिकार के बाद मिले पंजों के निशान ने साफ कर दिया कि शिकारी तेंदुआ ही है।
सरवन के पास पाटड़ी गांव में रहने वाले देवीलाल और उसकी पत्नी ने शनिवार की अलसुबह मकान से कुछ ही दूरी पर बनी झोपड़ी में बंधे बकरे और बकरियों जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। वे दोनों झोपड़ी की ओर पहुंचे तो बाघ जैसा जानवर वहां से जाता हुआ दिखाई दिया। झोपड़ी में देखा तो पता चला कि उसने बकरे और बकरियों का शिकार कर लिया है। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और शिकार किए जानवरों को देखा तो कहा गया कि उनका शिकार बाघ ने नहीं किसी जंगली जानवर ने किया है। टीम ने बकायदा मृत मवेशियों का पोस्टमार्टम भी कराया था। हालांकि सहायक वन उपनिरीक्षक शंकरलाल परमार ने कहा था कि शिकार वन्य प्राणी ने किया लेकिन उसके बाघ होने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। पशु चिकित्सा और वन विभाग पता नहीं लगा पाया कि बकरे-बकरियों का शिकार किस जंगली जानवर ने किया है।
पाटड़ी में बकरे-बकरियों का शिकार करने के बाद पास के ही गांव नकटीपाड़ा में भी किसी जानवर ने मवेशियों ने हमला कर दिया। हालांकि इस बार उसके पद्चिन्ह साफनजर आ गए जिससे साफ हो गया कि जंगली जानवर और कोई नहीं तेंदुआ है। इसके बाद पाटड़ी और नकटीपाड़ा के अलावा आसपास के गांवों में डर पैदा हो गया। पैरों के निशान देखने के बाद वन विभाग भी मान चुका है कि पिछले तीन-चार दिनों से जानवरों पर हमला तेंदुआ ही कर रहा है। वरना तो अब तक तो वह गांव वालों की बात को तैयार नहीं होकर शिकारी जानवर को लकड़बग्घा बता रहा था। यहां एक बकरी को तो मार डाला और दूसरी को उठा ले गया। वन विभाग की टीम को नकटीपाड़ा में जानवर के मिले पैरों के निशान के फोटो लिए और वरिष्ठ अधिकारियों को भिजवाएं जिन्होंने फोटो देखकर कह दिया कि ये तेंदुए के निशान है।
आदिवासी अंचल के लोग वन विभाग पर उंगलियां उठाने लगे है कि अमला हमारी बात मानने को तैयार नहीं था, अगर पहले ही ध्यान दे देते तो फिर दो बकरियों पर हमला नहीं होता। तेंदुए का पता चलने के बाद गावों में हलचल पैदा हो गई है हालांकि वन विभाग ने गांव वालों को अलर्ट करते हुए इंदौर से टीम को बुलाया जा रहा है। जंगल में पिंजरा रखकर तेदुएं को पकडऩे का काम कल से किया जाएगा।