नई दिल्ली, 23दिसम्बर2019/झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर हुए चुनाव की गिनती जारी है. रुझानों में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा है. जेएमएम गठबंधन को जेएमएम 24, कांग्रेस 12 और ुआरजेडी 5 सीटों पर आगे हैं. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है. सोरेन 2 जगहों से चुनाव मैदान में हैं. इसमें से एक सीट पर पीछे चल रहे हैं.
जेएमएम में शिबू सोरेन के उत्तराधिकारी और प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सबकी नजरें टिकी हैं. हेमंत के कंधों पर प्रदेश में महागठबंधन को विजयश्री दिलाने की जिम्मेदारी है, वह खुद दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. हेमंत जेएमएम का गढ़ माने जाने वाले संथाल परगना की दुमका विधानसभा सीट के साथ ही बरहेट सीट से भी चुनावी ताल ठोक रहे हैं. शुरुआती रुझान में हमेंत सोरेन दुमका से पीछे और बरहेट से आगे चल रहे हैं
शिबू सोरेन के वारिस हेमंत सोरेन ने विरासत और आंदोलन से सीखी राजनीति
हेमंत सोरेन पीडीएस में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के मुखर आलोचक रहे हैं. इसके अलावा हेमंत सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन के साथ एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात की थी. यही नहीं, वह बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी शराबबंदी की वकालत लंबे समय से करते आए हैं.
झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन राज्य के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन हैं. हेमंत सोरेन सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं में शुमार हैं. हेमंत सोरेन अपने पिता की तरह राज्य में आदिवासी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है.
2013 में बने राज्य के मुख्यमंत्री
हेमंत सोरेन ने 2013 में झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. सरकार बनाने में उन्हें कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल का साथ मिला था. विपक्ष में रहते हुए हेमंत सोरेन राज्य के आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं. 2016 में राज्य में भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ थी. तत्कालीन सरकार ने छोटा नागपुर टीनेंसी एक्ट और संथाल परगना टीनेंसी एक्ट को बदलने की कोशिश की थी. इसमें आदिवासी भूमि को गैर कृषि कार्यों में इस्तेमाल करने का प्रावधान था. इसका राज्य में काफी विरोध हुआ और हेमंत सोरेन ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
2019 के लिए थर्ड फ्रंट से लेकर महागठबंधन की कोशिश
2019 लोकसभा चुनाव में हेमंत ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ मिलकर थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश भी की थी. हालांकि, हेमंत सोरेन यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी द्वारा दिल्ली में दिए गए डिनर में भी शामिल हुए थे. यह डिनर मीटिंग एनडीए के खिलाफ महागठबंधन बनाने की कोशिशों के फलस्वरूप हुई थी. हालांकि, बाद में 2019 लोकसभा चुनावों के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस नीत महागठबंधन में शामिल हो गया. इसमें कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा (बाबूलाल मरांडी) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) शामिल हैं.
बीजेपी के कब्जे में है दुमका
दुमका विधानसभा सीट से बीजेपी की लुईस मरांडी विधायक हैं. लुईस ने 2014 के चुनाव में हेमंत सोरेन को 5262 वोटों से शिकस्त दी थी. इससे पहले 2005 के विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार स्टीफन मरांडी ने चुनावी बाजी जीती थी. 2009 में इस सीट से हेमंत विधायक चुने गए, लेकिन 2014 में उन्हें बीजेपी की लुईस मरांडी से मात खानी पड़ी.
बरहेट ने बनाया था नेता प्रतिपक्ष
हेमंत सोरेन ने 2014 के चुनावी रण में भी इन्हीं दोनों सीटों से किस्मत आजमाई थी. एक सीट से हार मिली, लेकिन दूसरी सीट बरहेट के मतदाताओं ने सोरेन को विजयश्री दिलाकर विधानसभा भेजा और सोरेन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने. बीजेपी ने इस बार सोरेन की उन्हीं के गढ़ में तगड़ी घेरेबंदी की और दुमका के साथ ही बरहेट में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया.
(साभार-आज तक)
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