नई दिल्ली, 27मार्च2020/कोरोना वायरस के बाद हुए लॉकडाउन से लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. उन लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं जो लोग अपना गांव-घर छोड़कर दूसरे शहरों में प्रवास पर हैं. लॉकडाउन के कारण ऐसे लोगों के रोजगार पर ताला लग गया है. ऐसी स्थिति में उन्हें अपने घर लौटने के अलावा कोई चारा नहीं है. लेकिन इसमें परेशानी ये है कि लोग अपने गांव लौटें कैसे क्योंकि यातायात के सभी साधन ठप हैं.
ऐसे में देश के कोने-कोने से ऐसी खबरें आ रही हैं कि लोगों ने पैदल यात्रा शुरू कर दी है और वे शहर से अपने घर की ओर चल पड़े हैं. दूर-दराज का सफर है इसलिए काफी मुश्किल पेश आना लाजिमी है. इसे देखते हुए प्रदेश सरकारों ने ऐसे मुसाफिरों की मदद का ऐलान किया है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि ऐसे लोगों को उनके सुरक्षित गंतव्य पहुंचाने का सरकार समुचित बंदोबस्त करेगी.
यूपी सरकार के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कोरोना लॉकडाउन को देखते हुए उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर आ रहे और अन्य राज्यों को पैदल जाने वाले मजदूरों व कर्मकारों के लिए मानवीय आधार पर विशेष व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. आदेश में कहा गया है कि मानवीय आधार पर ऐसे व्यक्तियों के लिए भोजन व पानी की व्यवस्था की जाए और स्वास्थ्य संबंधी पूरी सावधानी बरतते हुए इन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए.
यूपी मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बयान में कहा गया है कि उत्तराखंड निवासी सभी लोगों और बिहार जाने वाले सभी श्रमिकों और कर्मकारों व अन्य नागरिकों का पूरा ख्याल रखा जाएगा और इन व्यक्तियों को सुरक्षित उनके गंतव्य स्थल तक भेजा जाएगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वाराणसी सहित प्रदेश के विभिन्न तीर्थ स्थानों पर फंसे अन्य राज्यों जैसे कि गुजरात आदि के तीर्थ यात्रियों के लिए भी भोजन व सुरक्षा आदि की व्यवरथा सुनिश्चित की जाएगी.
मुसाफिरों को किया रेस्क्यू
बता दें, उत्तर प्रदेश पुलिस ने 16 ऐसे युवाओं को पकड़ा है, जो वाराणसी से समस्तीपुर तक पैदल जा रहे थे, इसके लिए वो रेलवे ट्रैक के साथ चल रहे थे. युवाओं को ऐसा कदम लॉकडाउन के कारण उठाना पड़ा क्योंकि उनके पास घर जाने के लिए कोई परिवहन सुविधा नहीं थी. वे केरल के कालीकट में काम करते हैं और रेल सेवा बंद होने से पहले किसी तरह ट्रेन से झांसी तक पहुंच गए थे.
एक युवा ने पुलिस को बताया, झांसी से हमने ट्रक में लिफ्ट ली और वाराणसी तक पहुंचे लेकिन इसके बाद हमें कोई साधन नहीं मिला. ऐसे में पैदल चलने के सिवाय हमारे पास कोई विकल्प नहीं था.
ये लड़के जब कुचमन रेलवे स्टेशन पहुंचे तो यहां के पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल को इसकी जानकारी मिली और उन्होंने इन युवाओं को रेस्क्यू किया. एक लड़के ने कहा कि हम रेलवे ट्रैक के बगल से इसलिए चल रहे थे, ताकि हम रास्ता न भटकें. गुरुवार को पुलिस अधीक्षक ने विशेष अनुमति लेकर इनके लिए एक गाड़ी का इंतजाम किया और अब इन्हें इनके घर भेजा जा रहा है.
उत्तराखंड सरकार का ऐलान
लॉकडाउन के बाद जहां काफी संख्या में बाहरी राज्यों के पर्यटक उत्तराखंड में फंस चुके हैं तो वहीं अब सरकार भी उनको सकुशल उनके घर भेजना चाहती है. सरकार केंद्र सरकार से अनुमति लेकर बसों का इंतज़ाम कर सभी पर्यटकों को उनके राज्य, उनके घर भेजने की व्यवस्था कर रही है. फंसे हुए अधिकतर लोग गुजरात व उत्तर प्रदेश के हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जो भी लोग घर जाना चाहते हैं सरकार उनको सकुशल उनके घर पहुंचाएगी.
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2100 से ज्यादा पर्यटक हरिद्वार और ऋषिकेश में हैं. अभी और होने की संभावना है जिसमें सबसे ज्यादा 400 के लगभग लोग गुजरात से हैं. इसके अलावा राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों से भी लोग यहां पर हैं. जो लोग घर जाना चाहते हैं सरकार उनको घर भेजेगी और उनके जाने का प्रबंध करेगी. इसके लिए बाकायदा केंद्र सरकार से खुद मुख्यमंत्री ने बात की है.
ऐसे ही कुछ मुसाफिर महाराष्ट्र के नांदेड़ में फंसे हैं जो पंजाब से गए हैं. इनके बारे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के दफ्तर की ओर से कहा गया कि नांदेड़ प्रशासन इन लोगों को हरसंभव मदद मुहैया करा रहा है. वहां के गुरुद्वारा बोर्ड ने इन लोगों के भोजन व अन्य जरूरतों का बंदोबस्त किया है. मुख्यमंत्री कार्यालय के इस बयान पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने धन्यवाद दिया और कहा कि ऐसी विकट परिस्थिति में नांदेड़ प्रशासन ने पंजाब के लोगों के ख्याल रखा, यह काफी सुकून देने वाली बात है.
पंजाब, महाराष्ट्र और यूपी की तरह लगभग हर प्रदेश के यात्री जहां-तहां फंसे हैं जिनकी मदद में राज्य सरकारें उतरी हैं. इन मुसाफिरों को उनके गंतव्य तक भेजने का बंदोबस्त किया जा रहा है. ऐसी कार्रवाई केवल देश के नागरिकों के लिए ही नहीं चल रही बल्कि विदेशी नागरिकों का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है. 25 से 26 मार्च तक दिल्ली एयरपोर्ट से 5 विमानों से ऑस्ट्रिया, इजरायल, जर्मनी और इटली के कई लोगों को उनके देश तक पहुंचाया गया है.
(साभार-आज तक)
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