रतलाम,15अक्टूबर(खबरबाबा.काम)। एनेस्थीसिया वल्ड डे की पूर्व संध्या पर शनिवार को शहर में जिले के निश्चेतना विशेषज्ञों का सेमिनार आयोजित हुआ।
सेमिनार में शामिल हुए निश्चेतना विशेषज्ञ डॉक्टरों को सम्बोधित करते हुए नगर के वरिष्ठ निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ महेश मौर्य ने कहा कि, आज से 173 साल पहले 16 अक्टूबर के दिन डॉ विलियम ग्रीन मार्टिन द्वारा जबड़े की सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया का सफल प्रयोग किया गया था। इसे चिकित्सा जगत की सबसे बड़ी उपलब्धि के साथ एक खोज भी माना जाता है।
सेमिनार में मौजूद डॉ राजीव दशोत्तर ने कहा कि, एनेस्थीसिया के बगैर कोई सी भी सर्जरी संभव नही हो सकती है। किसी भी ऑपरेशन में जितनी भूमिका सर्जन की होती है, उतनी ही एक एनेस्थेटिक की होती है। डॉ मनीष गुप्ता ने बताया कि, आज से कुछ वर्षों पहले ऑपरेशन के दूसरे दिन होश आता था। लेकिन एनेस्थीसिया के क्षेत्र मे काफी कार्य हुए हैं। वर्तमान मे मरीज ऑपरेशन थियेटर के बहार आने पर अपने परिजनों से बात करने लगता है।
निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ गौरव यादव ने कहा कि, ऑपरेशन के दौरान मरीज को बेहोश करने से लेकर उसके चेतना में आने तक मरीज के ऑक्सीजन लेवल, ब्लडप्रेशर आदि सभी पैरामीटर का ध्यान रखना होता है। इसलिए कहा जाता है कि, ऑपरेश छोटा या बड़ा हो सकता है, किन्तु एनेस्थीसिया हमेशा बड़ा ही होता है। सेमिनार के दौरान डॉ शेलेन्द्र डावर, डॉ अयाज खान, डॉ योशेष तिलकर, डॉ चेतन पाटीदार आदि निश्चेतना विशेषज्ञों ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये। अंत में आभार डॉ गौरव यादव ने माना।